राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर जारी बहस के दौरान नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर तीखे सवाल दागे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2015 की पाकिस्तान यात्रा को लेकर कटाक्ष किया और कहा कि एक तरफ सरकार पाकिस्तान की आलोचना करती है, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री उन्हें गले लगाते नजर आते हैं। उन्होंने कहा, “खुद गलत फैसले लेते हैं और दूसरों को उपदेश देते हैं, ये दोहरा मापदंड बंद होना चाहिए।”

“कश्मीर में सुरक्षा तीन गुना बढ़ाई गई थी, फिर हमला कैसे हुआ?”

खरगे ने पूछा कि जब गृहमंत्री ने दावा किया था कि कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था तीन गुना कर दी गई है, तो पहलगाम में आतंकी हमला कैसे हो गया? उन्होंने यह भी उठाया कि हमले से महज तीन दिन पहले प्रधानमंत्री ने अपना कश्मीर दौरा रद्द किया था। “क्या उन्हें पहले से किसी हमले की आशंका थी?” उन्होंने पूछा।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि 22 अप्रैल 2025 को हुए हमले के बाद भी सरकार अपनी कार्रवाई को सही ठहरा रही है, जबकि विपक्ष की ओर से विशेष सत्र बुलाने की मांग को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।

"प्रधानमंत्री जवाब देने नहीं आए, लेकिन चुनाव प्रचार में व्यस्त"

खरगे ने प्रधानमंत्री पर सवाल उठाया कि हमले के बाद जब 24 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक हुई, तो वे उसमें शामिल नहीं हुए और सीधे सऊदी अरब से लौटकर बिहार में चुनाव प्रचार में लग गए। “क्या यही प्रधानमंत्री की गंभीरता है?” उन्होंने पूछा।

“जिम्मेदारी एलजी की नहीं, गृहमंत्री की बनती है”

खरगे ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने सुरक्षा में चूक की बात स्वीकार कर हमले की जिम्मेदारी ली है, लेकिन वास्तविक जिम्मेदारी गृहमंत्री की बनती है। “क्या एलजी का यह बयान गृहमंत्री को बचाने के लिए था?” उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार केवल कांग्रेस पर आरोप लगाकर नहीं बच सकती, उसे अपना उत्तर भी देना होगा।

"सरकार के पास अहंकार है, जवाब नहीं"

खरगे ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष के सवालों का जवाब देने से बचती है और खुद को हर आलोचना से ऊपर समझती है। उन्होंने कहा कि जब 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री ने विशेष सत्र बुलाया था, तो अब सरकार क्यों इनकार कर रही है?

“सेना का अपमान करने वालों पर कार्रवाई हो”

खरगे ने भाजपा के एक राज्यसभा सांसद की उस टिप्पणी की निंदा की जिसमें पहलगाम हमले में शहीद हुए लोगों की पत्नियों को लेकर अनुचित टिप्पणी की गई थी। उन्होंने कहा, “जो लोग इस तरह की भाषा बोलते हैं, उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए।”

“महिला सैन्य अधिकारी पर टिप्पणी की भी हो निंदा”

खरगे ने मध्य प्रदेश के एक भाजपा नेता द्वारा भारतीय सेना की एक महिला अधिकारी पर की गई टिप्पणी को शर्मनाक बताते हुए कहा कि जब तक ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक दोतरफा प्रतिक्रियाएँ आती रहेंगी। उन्होंने कहा, “देशभक्ति का ठेका किसी एक पार्टी के पास नहीं है।”

"सीजफायर की घोषणा अमेरिका से क्यों हुई?"

खरगे ने सरकार से स्पष्ट किया कि जब पाकिस्तान पर भारत का दबाव था, तब अचानक युद्धविराम की घोषणा कैसे और क्यों हुई? उन्होंने दावा किया कि यह घोषणा न तो प्रधानमंत्री, न गृहमंत्री और न ही विदेश मंत्री ने की, बल्कि अमेरिका के वॉशिंगटन से हुई। “राष्ट्रपति ट्रंप ने बार-बार दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच टकराव रोका। क्या यह देश की नीति के खिलाफ नहीं है?” उन्होंने पूछा।

"सरकार को बताना चाहिए किस शर्त पर युद्धविराम स्वीकार किया"

खरगे ने यह भी जानना चाहा कि पाकिस्तान के बैकफुट पर होने के बावजूद भारत ने सीजफायर क्यों स्वीकार किया। “क्या अमेरिका के दबाव में यह फैसला लिया गया? क्या व्यापारिक हित इसके पीछे थे? सरकार को इन सवालों के जवाब देने चाहिए,” उन्होंने कहा।