दिल्ली सरकार ने लोक निर्माण विभाग (PWD) की परियोजनाओं की निविदा प्रक्रिया में व्यापक संशोधन किया है। इसका उद्देश्य निर्माण कार्यों में पारदर्शिता लाना, समयबद्धता सुनिश्चित करना और गैर-जिम्मेदार या सट्टा लगाने वाले ठेकेदारों पर रोक लगाना है। विभाग अब ऐसे ठेकेदारों पर कड़ी नजर रखेगा, जो महज टेंडर लेने के लिए अत्यधिक कम दरों की बोली लगाते हैं और बाद में काम को या तो अधूरा छोड़ते हैं या घटिया गुणवत्ता में पूरा करते हैं।
PWD मंत्री प्रवेश वर्मा ने बताया कि सरकार ने अब तय कर लिया है कि "सस्ते टेंडर और खराब क्वालिटी का काम" किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके तहत अब एक नई व्यवस्था लागू की गई है, जिससे विभागीय अनुशासन और परियोजनाओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सके।
क्या है नई व्यवस्था?
सरकार ने निर्देश जारी किए हैं कि अब सभी आगामी टेंडरों में एडिशनल परफॉर्मेंस गारंटी (APG) अनिवार्य की जाएगी। यह विशेष रूप से उन ठेकेदारों पर लागू होगी, जो अनुमानित लागत से बहुत कम दर पर बोली लगाते हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ठेकेदार केवल बोली जीतने के लिए गैर-व्यावहारिक रेट न दें, जिससे बाद में काम की गुणवत्ता और समयसीमा प्रभावित हो।
क्यों उठाया गया यह कदम?
सरकार ने हाल ही में यह पाया कि कई ठेकेदार परियोजनाएं शुरू करने के बाद या तो समय पर काम पूरा नहीं करते या निर्माण सामग्री की गुणवत्ता में समझौता करते हैं। कई मामलों में ठेकेदारों ने परियोजना अधूरी छोड़ दी, जिससे आम नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ा और सरकारी संसाधनों की बर्बादी भी हुई।
किन परियोजनाओं में होगा बदलाव?
यह संशोधित प्रक्रिया सड़कों, फ्लाईओवर, सार्वजनिक भवनों और अन्य प्रमुख ढांचागत परियोजनाओं पर लागू होगी। अब केवल वही ठेकेदार निविदा में भाग ले सकेंगे जो न केवल तकनीकी दृष्टि से सक्षम हों, बल्कि वित्तीय रूप से भी जिम्मेदार माने जाएं।
PWD को यह निर्देश दिया गया है कि नए मानदंडों को सभी निविदाओं में शामिल किया जाए। इसके साथ ही टेंडर मूल्यांकन समितियों के लिए विशेष प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए जाएंगे, ताकि वे नई प्रणाली को प्रभावी ढंग से लागू कर सकें।