हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग में कार्यरत शारीरिक शिक्षकों (डीपीई) को संशोधित वेतनमान देने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि वह छह सप्ताह के भीतर शारीरिक शिक्षकों को संशोधित वेतनमान 1 अक्तूबर 2012 से अदा करे। अदालत ने विभाग को आदेश दिए कि इन शिक्षकों को दिए जाने वाला संशोधित वेतन पेंशन निर्धारण के लिए भी गिना जाए। याचिकाकर्ता नानक चंद और अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने यह निर्णय सुनाया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि शिक्षा विभाग ने सिर्फ शारीरिक शिक्षक (डीपीई) की श्रेणी को छोड़कर 19 श्रेणियों के कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान का लाभ 1 अक्तूबर 2012 से दिया है, लेकिन इन शिक्षकों को यह लाभ 1 नवंबर 2014 से दिया गया।

दलील दी गई कि शुरू में उनकी नियुक्ति पीटीई के पद पर हुई थी और पदोन्नति के बाद उन्हें डीपीई बनाया गया। 22 सितंबर 2012 को सरकार ने एक अधिसूचना जारी की, जिसमें शिक्षा विभाग के 19 श्रेणियों के कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान का लाभ दिया गया, लेकिन शारीरिक शिक्षकों को इसमें नहीं जोड़ा गया था। उसके बाद 1 नवंबर 2014 को राज्य सरकार ने एक नई अधिसूचना जारी की, जिसके तहत डीपीई को संशोधित वेतनमान का लाभ दिया गया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि शिक्षकों के साथ भेदभाव की नीति अपनाई गई है। शिक्षक शिक्षा विभाग के ही 19 श्रेणी के कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान का लाभ 1 अक्तूबर 2012 से दिया गया, लेकिन इन शिक्षकों को यह लाभ वर्ष 2014 से दिया गया। अदालत ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग के शारीरिक शिक्षकों के संशोधित वेतन निर्धारण में भेदभाव किया है। अदालत ने मामले का निपटारा करते हुए कहा कि समान कर्मचारियों के साथ समानता का व्यवहार किया जाना चाहिए।