जितिया व्रत की तरह ही अहोई अष्टमी के व्रत का काफी महत्व माना जाता है. यह त्योहार हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना के लिए रखती हैं. कुछ महिलाएं संतान सुख की प्राप्ति की कामना के लिए भी अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान का मंगल होता है और संतान सुख से वंचित महिलाओं को संतान सुख की प्राप्ति होती है.

इस दिन अहोई माता की पूजा अर्चना की जाती है, और पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. कुछ महिलाएं शाम के समय तारा देखकर व्रत का समापन करती हैं तो कुछ महिलाएं चांद को देखकर अहोई अष्टमी के व्रत का समापन करती हैं. अहोई अष्टमी के व्रत का पूर्ण फल तभी प्राप्त होता है जब इस व्रत को पूर्ण नियमों के साथ रखा जाता है. आइए जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत के क्या नियम होते हैं.

अहोई अष्टमी व्रत के नियम

  • अहोई अष्टमी का व्रत सूर्योदय के साथ ही शुरू हो जाता है और इसका समापन अपनी अपनी परंपरा के अनुसार तारे या चांद के दर्शन कर, अर्घ्य देने के बाद होता है. कुछ लोग इस व्रत को तारे को देखकर और कुछ लोग चांद को देखकर खोलते हैं.
  • अहोई अष्टमी का व्रत भी करवा चौथ के व्रत की तरह निर्जला रखा जाता है.
  • अहोई अष्टमी के व्रत में किसी भी तरह के फल, अन्न या मिठाई का सेवन नहीं किया जाता है. इस दिन दूध या दूध से बनी चीजों का सेवन भी नहीं किया जाता है.
  • इस दिन शाम के समय अहोई माता की पूजा अर्चना करने का विधान है. इसलिए अहोई अष्टमी के दिन शाम के समय अहोई माता की तस्वीर की स्थापना करें और धूप और दीपक जलाकर पूजा अर्चना करें.
  • अहोई अष्टमी के दिन शाम की पूजा के समय अहोई माता को 8 पूड़ी, 8 मालपुआ या गुलगुले, दूध और चावल का भोग लगाएं. इस दिन पूजा के समय एक कटोरी में गेहूं भी रखें. इस दिन अहोई अष्टमी व्रत की कथा का पाठ जरूर करें. बिना कथा के ये व्रत अधूरा माना जाता है.

अहोई माता को प्रसन्न करने के लिए करें ये काम

  • अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता के भोग के लिए गुलगुले बनाने का रिवाज है. इस दिन गुलगुले आवश्यक रूप से बनाए जाते हैं, क्योंकि मान्यता है कि गुलगुले का भोग अहोई माता को विशेष प्रिय होता है.
  • अहोई माता को प्रसन्न करने के लिए उनको फल, दूध और दही का भोग लगाएं. आप इस दिन अहोई माता को खीर का भोग भी लगा सकते हैं. ऐसा करने से अहोई माता प्रसन्न होती हैं और जातक पर अपनी कृपा बरसाती हैं.
  • अहोई अष्टमी के दिन संतान के कल्याण के लिए पति-पत्नी दोनों को मिलकर अहोई माता को सफेद फूल अर्पित करने चाहिए और शाम को तारे या चांद को देखकर अर्घ्य देकर पूजा अर्चना करनी चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से अहोई माता प्रसन्न होती हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. दैनिक देहात इसकी पुष्टि नहीं करता है.