ब्लैकरॉक इन्वेस्टमेंट इंस्टीट्यूट के मुख्य निवेश रणनीतिकार बेन पॉवेल का मानना है कि वैश्विक आर्थिक रुझान, राजनीतिक बदलाव और शेयरों की कीमतों में सुधार भारत के पक्ष में काम कर रहे हैं। ईटी नाउ से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत का शेयर बाजार अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और आने वाले 12 महीनों में स्थिति बेहतर होने की संभावना है।
घरेलू कारण नहीं, बाहरी झटके जिम्मेदार
पॉवेल ने बताया कि भारत का हालिया कमजोर प्रदर्शन घरेलू मुद्दों के कारण नहीं, बल्कि वैश्विक बाजार में आए झटकों की वजह से हुआ। उन्होंने कहा कि पहले निवेशकों को लंबे समय तक निवेश करके अच्छे रिटर्न मिल जाते थे, लेकिन अब दुनिया में राजनीतिक तनाव, व्यापारिक खींचतान और नई तकनीक, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के प्रभाव ने निवेश की रणनीतियों को बदल दिया है।
एआई का वैश्विक असर
पॉवेल ने कहा कि एआई कई देशों को फायदा दे रहा है, जबकि कुछ देशों के लिए चुनौतियां भी पैदा कर रहा है। कोरिया, ताइवान और चीन एआई से सबसे अधिक लाभान्वित हुए हैं। वहीं भारत का हालिया प्रदर्शन बाहरी कारणों से कमजोर रहा। अमेरिका-भारत व्यापारिक तनाव ने भी निवेशकों में अनिश्चितता पैदा की है।
भारत में निवेश के नए अवसर
उन्होंने यह भी बताया कि नए अमेरिकी राजदूत के शपथ ग्रहण के अवसर पर अमेरिका के सकारात्मक संकेतों से भारत के लिए व्यापार समझौते की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। पॉवेल ने कहा कि भारत के शेयर अब पहले की तुलना में महंगे नहीं हैं और निवेशकों के लिए यह एक आकर्षक समय हो सकता है।
भारत की वैश्विक आर्थिक स्थिति
पॉवेल ने कहा कि भारत वैश्विक निवेश का स्थायी हिस्सा बनता जा रहा है। भारत का शेयर बाजार अब ब्रिटेन और जर्मनी के कुल बाजार के बराबर हो गया है, जबकि चीन की अर्थव्यवस्था धीमी है। चीन में प्रॉपर्टी सेक्टर की समस्याएं और जनसंख्या में गिरावट बड़ी चुनौती हैं, हालांकि वहां एआई और इंजीनियरिंग सेक्टर में चुनिंदा अवसर मौजूद हैं।
एआई और दीर्घकालिक निवेश
उन्होंने कहा कि अमेरिका में निवेश बढ़ाने के पीछे एआई की वास्तविक कमाई का बड़ा हाथ है। एआई से जुड़े क्षेत्रों में लंबी अवधि के निवेश के अवसर सिर्फ शेयरों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ऊर्जा उत्पादन, डेटा सेंटर, तांबा, और इंजीनियरिंग जैसी क्षेत्रों में भी हैं। पॉवेल ने कहा कि एआई के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में निजी निवेशकों की अहम भूमिका होगी।