क्रिप्टोकरेंसी अब सिर्फ मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसका प्रभाव टियर-2 और टियर-3 शहरों तक भी तेजी से फैल रहा है। जयपुर, कोयंबटूर और डिब्रूगढ़ जैसे कस्बों में डिजिटल मुद्रा निवेश का नया विकल्प बनकर उभरी है। देशभर में हो रहे कुल क्रिप्टो लेन-देन का लगभग आधा हिस्सा अब छोटे शहरों से आ रहा है, जहां इसमें सालाना 40% से अधिक की वृद्धि देखी जा रही है।
छोटे शहरों में पूंजी बाजारों तक सीमित पहुंच, परंपरागत बैंकिंग सुविधाओं की कमी और आय में अस्थिरता के बीच क्रिप्टोकरेंसी लोगों के लिए नया आर्थिक विकल्प बन रही है। यहां छात्र, गृहणियां और छोटे व्यापारी 10,000 रुपये जैसे न्यूनतम निवेश से शुरुआत कर रहे हैं।
टियर-2 शहरों में क्रिप्टो की लोकप्रियता
पटना, इंदौर और सूरत जैसे शहरों में अब डिजिटल करेंसी की चर्चा चाय की दुकानों और बाजारों तक पहुंच चुकी है। भारत के शीर्ष 10 क्रिप्टो-सक्रिय शहरों में से सात अब मेट्रो नहीं, बल्कि टियर-2 श्रेणी के हैं। सस्ते स्मार्टफोन, इंटरनेट की बढ़ती पहुंच और कोविड के बाद डिजिटल व्यवहार में आए बदलाव ने इस परिवर्तन को तेज किया है। युवा वर्ग इसे वैश्विक आर्थिक प्रणाली से जुड़ने का माध्यम मान रहा है।
नागपुर जैसे शहरों में क्रिप्टो निवेश को लेकर प्रशिक्षण संस्थानों में छात्रों का नामांकन बढ़ा है। स्थानीय भाषाओं में यूट्यूब वीडियो, मोबाइल ऐप्स और मित्रों की सलाह ने क्रिप्टो को आम निवेशकों के लिए समझना आसान बनाया है। यही कारण है कि भारत वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो अपनाने वाले अग्रणी देशों में शामिल हो गया है।
महिला निवेशकों की बढ़ती भागीदारी
उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों से महिला निवेशकों की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। कई महिलाएं इसे आर्थिक आत्मनिर्भरता का माध्यम मान रही हैं। बीते कुछ वर्षों में महिला निवेशकों की संख्या में 10 गुना तक इजाफा हुआ है।
जोखिम और चुनौतियां
हालांकि बढ़ते निवेश के साथ जोखिम भी सामने आ रहे हैं। छोटे शहरों में सही जानकारी की कमी के कारण धोखाधड़ी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। लखनऊ, जयपुर और सूरत जैसे शहरों में फर्जी ऐप्स और स्कैम की शिकायतें मिल रही हैं। नियामकीय स्पष्टता की कमी इस समस्या को और गंभीर बना रही है।
आवश्यकता नियमन और जागरूकता की
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को वित्त मंत्रालय, आरबीआई और तकनीकी विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक पारदर्शी नियामकीय ढांचा तैयार करना चाहिए। सरल टैक्स प्रणाली और ठोस दिशा-निर्देश न सिर्फ निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, बल्कि इस डिजिटल लहर को एक स्थिर आर्थिक अवसर में बदलने में मददगार होंगे।
छोटे शहरों में उभर रही क्रिप्टो रुचि नई आर्थिक सोच की ओर संकेत कर रही है, पर यह भविष्य तभी सुरक्षित रहेगा जब इसे मजबूत नियमों और सही जानकारी का साथ मिलेगा।