कोच्चि। लक्षद्वीप प्रशासन रक्षा से जुड़ी जरूरतों के मद्देनजर द्वीपसमूह के बसे हुए बित्रा द्वीप के अधिग्रहण पर विचार कर रहा है। हालांकि, इस प्रस्ताव का कांग्रेस सांसद हमदुल्ला सईद ने कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि इसके पीछे असल मकसद स्थानीय निवासियों को उजाड़ना है।

सांसद सईद ने इस मुद्दे को संसद में उठाने की बात कही है और केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने इसे रोकने के लिए सभी संवैधानिक और कानूनी विकल्प अपनाने की घोषणा की है।

सरकार ने जारी की अधिसूचना

हाल ही में राजस्व विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में बित्रा द्वीप के समूचे भूभाग को अधिग्रहण के लिए चिह्नित किया गया है। इसका उद्देश्य उक्त भूमि को रक्षा और रणनीतिक एजेंसियों के उपयोग के लिए केंद्र को सौंपना है। अधिसूचना में इस कदम को द्वीप की सामरिक स्थिति, सुरक्षा महत्व और प्रशासनिक चुनौतियों से प्रेरित बताया गया है।

प्रशासन ‘भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013’ के तहत उचित मुआवजे और पारदर्शिता की प्रक्रिया के अनुसार यह अधिग्रहण करेगा। अधिसूचना के अनुसार, प्रभावित क्षेत्र में सामाजिक प्रभाव आकलन (SIA) किया जाएगा, जिसमें ग्राम सभाओं और स्थानीय निवासियों से राय ली जाएगी। यह प्रक्रिया अधिसूचना जारी होने के दो महीने के भीतर पूरी होनी है।

स्थानीयों को हटाने की साजिश: सईद

सांसद सईद ने प्रशासन के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि बित्रा लक्षद्वीप का सबसे छोटा और कम आबादी वाला द्वीप है, जिसे बेवजह निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले से ही कई द्वीपों पर रक्षा जरूरतों के लिए भूमि अधिग्रहित की जा चुकी है, ऐसे में बित्रा की स्थायी आबादी को विस्थापित करने की कोई जरूरत नहीं है।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस फैसले से पहले स्थानीय लोगों से कोई परामर्श नहीं लिया गया, और उस समय यह कदम उठाया गया जब द्वीपों में पंचायतें भी सक्रिय नहीं हैं। सांसद ने इसे लोकतंत्र के सिद्धांतों और नागरिक अधिकारों के खिलाफ करार दिया और निर्णय को तुरंत रद्द करने की मांग की।