प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में खुलासा किया है कि गुरुग्राम में एक संदिग्ध जमीन सौदे के तहत कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा को लगभग 58 करोड़ रुपये की अवैध आय हुई है। आरोपपत्र में बताया गया है कि यह राशि 53 करोड़ रुपये स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और 5 करोड़ रुपये ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग के जरिए भेजी गई।

ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा से गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में जमीन सौदे की जांच के तहत दो बार बयान लिए। जांच के दौरान वाड्रा ने आरोपों से बचते हुए जिम्मेदारी तीन दिवंगत व्यक्तियों—एचएल पाहवा, राजेश खुराना और महेश नागर—पर डाल दी, जो उनके सहयोगी रहे हैं। हालांकि, जब उनसे इस संबंध में सबूत मांगे गए तो कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सके।

ईडी के सूत्रों के मुताबिक, वाड्रा ने इन कंपनियों के जरिए कमाई गई धनराशि का इस्तेमाल अपनी आलीशान जीवनशैली और जमीन-जायदाद खरीदने में किया। जांच में सामने आया है कि उन्होंने इस अवैध धन को विभिन्न संपत्तियों में निवेश, अग्रिम भुगतान और कर्ज चुकाने में भी लगाया।

ईडी ने बताया कि जांच के परिणामस्वरूप 43 संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया गया है, जिनकी कुल कीमत 38.69 करोड़ रुपये है। इनमें राजस्थान के बीकानेर में जमीन, गुरुग्राम के गुड अर्थ सिटी सेंटर की इकाइयां, मोहाली के बेस्टेक बिजनेस टॉवर की इकाइयां और अहमदाबाद के जय अम्बे टाउनशिप की आवासीय इकाइयां शामिल हैं।

शिकोहपुर जमीन सौदे से जुड़ा मामला 1 सितंबर 2018 को हरियाणा पुलिस ने दर्ज किया था, जिसमें रॉबर्ट वाड्रा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, डीएलएफ कंपनी और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्रा. लि. पर धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। आरोप है कि स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने कम पूंजी के बावजूद 3.5 एकड़ जमीन महज 7.5 करोड़ रुपए में खरीदी, जबकि असली कीमत 15 करोड़ रुपए थी।

इसके अलावा, भुगतान चेक के बजाय नकद में होने का झूठा विवरण देकर करीब 45 लाख रुपए की स्टांप ड्यूटी बचाई गई। आरोप है कि यह जमीन रॉबर्ट वाड्रा के प्रभाव का परिणाम थी, जिससे ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज को तत्कालीन मुख्यमंत्री से हाउसिंग लाइसेंस दिलाया गया। बाद में इसे कमर्शियल लाइसेंस में तब्दील कर 58 करोड़ रुपए में डीएलएफ को बेच दिया गया।

जांच में यह भी पाया गया कि कमर्शियल यूज के लिए दाखिल आवेदन में 3.53 एकड़ जमीन दिखाई गई, जबकि असल में केवल 1.35 एकड़ जमीन ही थी। इसमें सेक्टर रोड की जमीन को शामिल कर नियमों की अनदेखी की गई। उच्चाधिकारियों के दबाव में लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को तेज किया गया और दस्तावेजों में तारीखों और नक्शों में फेरबदल किए गए।

ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग प्रतिबंध अधिनियम (PMLA) और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत आरोपपत्र दाखिल किया है। आरोप सिद्ध होने पर आरोपियों को 3 से 7 साल की जेल और संपत्तियों की जब्ती का सामना करना पड़ सकता है।