मूंढापांडे थाना क्षेत्र के याकूतपुर गांव में दिल्ली-लखनऊ हाईवे के जीरो प्वाइंट के पास निर्माणाधीन पुलिस चौकी को मुरादाबाद विकास प्राधिकरण (एमडीए) ने शुक्रवार को अवैध घोषित कर ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित याचिका और संबंधित विभागों द्वारा निर्माण से撂 पल्ला झाड़ने के बाद की गई।
बिना अनुमति हो रहा था निर्माण, विभागों ने झाड़ा पल्ला
जिस भूमि पर निर्माण कार्य चल रहा था, वह लोक निर्माण विभाग (PWD) के नाम दर्ज गाटा संख्या-112 है। याचिकाकर्ता सिराज मुस्तफा ने इसे अपने घर के सामने बताया था, जिससे उनके मुख्य द्वार से आवागमन प्रभावित हो रहा था। इसी आधार पर उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया। अदालत द्वारा नगर निगम, एमडीए, पीडब्ल्यूडी और स्मार्ट सिटी परियोजना से जवाब तलब करने पर सभी ने निर्माण से किसी भी प्रकार के संबंध से इनकार कर दिया।
स्मार्ट सिटी का नाम भी आया, फिर नकारा गया
एसएसपी ने पहले अदालत को बताया कि उन्हें याचिका के माध्यम से इस निर्माण की जानकारी मिली। बाद में जांच में यह कार्य स्मार्ट सिटी परियोजना से जुड़ा बताया गया, लेकिन कंपनी के सचिव ने हलफनामे में साफ किया कि ऐसी कोई चौकी इस योजना के तहत नहीं बन रही है। एमडीए और नगर निगम ने भी निर्माण की स्वीकृति या नक्शे की मंजूरी से इनकार कर दिया।
हाईकोर्ट के आदेश से पहले ही चली एमडीए की कार्रवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव (आवास एवं शहरी नियोजन) को सभी दस्तावेजों के साथ रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। सुनवाई से पहले ही एमडीए ने निर्माण स्थल पर पहुंचकर अवैध निर्माण को गिरा दिया। अधिकारियों के अनुसार निर्माण के लिए न तो कोई अनुमति ली गई थी और न ही नक्शा पास कराया गया था। सभी विभागों से जानकारी लेने पर कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं था।
अब तक रहस्य बना है: निर्माण शुरू किसके आदेश पर हुआ?
यह अभी भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि बिना किसी अधिकृत अनुमति के यह निर्माण किसके निर्देश पर शुरू हुआ। हाईवे किनारे चल रहे इस निर्माण कार्य को लेकर अब भी प्रशासनिक स्तर पर कई सवाल खड़े हैं। एमडीए की कार्रवाई के बाद भी कोई विभाग इसका जिम्मा लेने को तैयार नहीं है, जिससे प्रशासनिक हलकों में खलबली मची है।
राजमिस्त्री को बनाया गया बलि का बकरा
शुरुआती दौर में जब कोई विभाग जिम्मेदारी लेने को सामने नहीं आया, तब निर्माण कर रहे राजमिस्त्री इसरार अहमद पर आरोप मढ़े गए। एमडीए ने मई में इस मामले की जांच कर उसके खिलाफ अवैध निर्माण का वाद प्राधिकरण न्यायालय में दाखिल कर दिया था। हालांकि, एमडीए कोर्ट में सुनवाई टाल दी गई थी।
क्या था पूरा विवाद
याकूतपुर गांव में सिराज मुस्तफा के घर के ठीक सामने एक निर्माण कार्य शुरू किया गया था, जिसे उन्होंने अवैध बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनका कहना था कि यह निर्माण पीडब्ल्यूडी की भूमि पर हो रहा है और उनके आवागमन में बाधा उत्पन्न कर रहा है।
सभी विभागों ने झाड़ा था पल्ला, हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक
जब हाईकोर्ट ने इस विवादित निर्माण पर रिपोर्ट मांगी तो एक-एक कर सभी विभागों ने इससे अपना नाता नकार दिया। इसके बाद अदालत ने निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए एमडीए को निर्देशित किया कि वह आवश्यक कार्रवाई करे। इसी के तहत शुक्रवार को प्राधिकरण ने मौके पर पहुंचकर निर्माण को तोड़ दिया।
ये विभाग थे प्रतिवादी
याचिकाकर्ता ने यूपी सरकार, एमडीए उपाध्यक्ष, स्मार्ट सिटी के सीईओ, कमिश्नर, डीएम, एसएसपी और मूंढापांडे पुलिस को प्रतिवादी बनाया था।
एमडीए उपाध्यक्ष का बयान
"विवादित निर्माण को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं। जांच में पाया गया कि इसके लिए कोई नक्शा स्वीकृत नहीं कराया गया था और न ही आवश्यक अनुमति ली गई थी। अतः सामान्य प्रक्रिया के तहत इसे अवैध मानते हुए गिरा दिया गया।"
— अनुभव सिंह, उपाध्यक्ष, एमडीए