सुप्रीम कोर्ट ने कैश फॉर जॉब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी के खिलाफ की गई टिप्पणियों को हटाने से इनकार कर दिया है। पूर्व मंत्री ने तीन अलग-अलग फैसलों में अदालत द्वारा व्यक्त की गई टिप्पणियों को हटाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इन टिप्पणियों का ट्रायल प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
बालाजी की याचिका में कहा गया था कि कोर्ट की टिप्पणियां उनके खिलाफ निचली अदालत में चल रहे मुकदमे को प्रभावित कर सकती हैं और इससे उनके संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन होता है। हालांकि, बालाजी के वकील ने इस मांग को संशोधित करते हुए केवल यह स्पष्टीकरण मांगा कि ये टिप्पणियां निचली अदालत के फैसलों को प्रभावित न करें।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मांग को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि वे फैसलों में कोई बदलाव या शब्द नहीं हटाएंगे, लेकिन यह स्पष्ट करेंगे कि यह टिप्पणियां मुकदमे पर प्रभावी नहीं होंगी। उन्होंने यह भी बताया कि यह आपराधिक न्याय का मूल सिद्धांत है कि ट्रायल निष्पक्ष होना चाहिए और इससे जुड़े सिद्धांतों का पालन अनिवार्य है।
इस साल अप्रैल में भी सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी को चेतावनी दी थी कि यदि उन्होंने मंत्री पद नहीं छोड़ा तो उनकी जमानत रद्द की जा सकती है। कोर्ट ने कहा था कि जमानत मिलने के तुरंत बाद उन्हें मंत्री बनाया गया, जिससे गवाह दबाव में आ सकते हैं। बालाजी को जमानत इस आधार पर मिली थी कि ट्रायल जल्दी शुरू होने की संभावना नहीं है।