कक्षा छह के छात्र ने चप्पल पसंद नहीं आने पर मां की साड़ी से फांसी लगाकर जान दे दी। दरअसल बालक की जिद पर मजबूर हुए पिता ने उसे नई चप्पल दिलाई, मगर घर आने के बाद पसंद नहीं आने की बात कहने लगा। इसके बाद उसने जान दे दी।

हल्दौर थाना क्षेत्र के गांव पावटी निवासी संजय का बेटा रचित (12) गांव के ही जूनियर हाईस्कूल में कक्षा छह का छात्र था। बताया गया कि रविवार सुबह गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में स्कूल जाने से पहले रचित ने नई चप्पल दिलाने की जिद की। पिता ने स्कूल से लौट आने के बाद चप्पल दिलाने की बात कही। जब रचित स्कूल से लौट आया तो उसके पिता उसे बाजार से चप्पल दिला लाए। मगर घर लौटते ही पसंद नहीं आने की बात कहते हुए चप्पल बदलने की जिद करने लगा। परिवार वालों ने कहा कि रख दो, बाद में बदलवा देंगे। 

बताया गया कि इसी बीच रचित ने कमरे में जाकर मां की साड़ी से फंदा खिड़की में लगाया और झूल गया, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस को जानकारी दिए बिना ही सोमवार को उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

उधर, परिजनों ने आशंका जाहिर की है कि तंत्र क्रिया की वजह से उनका बालक जिद्दी हो गया था, पिछले कई दिनों से वह गुमसुम रहने लगा था। इतना ही नहीं परिवार वालों ने गांव के सीसीटीवी भी खंगाले, जिसमें एक महिला उनके घर के सामने तंत्र क्रिया का सामान रखकर जाती दिखाई दी। परिजनों का आरोप था कि उक्त महिला दो साल से लगातार तंत्र क्रिया कर रही थी। तंत्र क्रिया के प्रभाव में आने की वजह से ही रचित ने आत्महत्या कर ली।

परिजनों ने पुलिस को सूचना दिए बिना बैराज घाट पर बालक का अंतिम संस्कार कर दिया। इस संबंध में अमहेड़ा चौकी प्रभारी अन्नु पवार का कहना है कि मामला संज्ञान में नहीं है। तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।